Share Market में FII और DII क्या होते हैं और कैसे ये स्टॉक मार्केट में तेजी या मंदी लाते हैं?

Share Market में FII और DII क्या होते हैं स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले दो बड़े प्लेयर होते हैं – FII (Foreign Institutional Investors) और DII (Domestic Institutional Investors)। इन दोनों की गतिविधियाँ बाजार में तेज़ी (Bullish) या मंदी (Bearish) लाने में अहम भूमिका निभाती हैं। इस गाइड में हम विस्तार से समझेंगे कि FII और DII क्या होते हैं, ये कैसे काम करते हैं, और इनका बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है। और जानिए FII और DII का स्टॉक मार्केट पर क्या असर पड़ता है, और कैसे आप इनके निवेश ट्रेंड्स को देखकर सही निवेश कर सकते हैं।

Share Market में FII और DII क्या होते हैं

स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले दो बड़े प्लेयर होते हैं – FII (Foreign Institutional Investors) और DII (Domestic Institutional Investors)। इन दोनों की गतिविधियाँ बाजार में तेज़ी (Bullish) या मंदी (Bearish) लाने में अहम भूमिका निभाती हैं। इस गाइड में हम विस्तार से समझेंगे कि FII और DII क्या होते हैं, ये कैसे काम करते हैं, और इनका बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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1. FII (Foreign Institutional Investors) क्या होते हैं?

FII वे विदेशी संस्थागत निवेशक होते हैं जो भारत के स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं। ये निवेशक किसी भी देश के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, म्यूचुअल फंड, हेज फंड, इंश्योरेंस कंपनियाँ, पेंशन फंड्स आदि हो सकते हैं।

FII के प्रकार:

1. Foreign Portfolio Investors (FPI) – ये छोटे निवेश करते हैं और अक्सर शॉर्ट टर्म के लिए बाजार में आते हैं।
2. Foreign Direct Investment (FDI) – ये किसी कंपनी में लंबी अवधि का निवेश करते हैं और बड़ी हिस्सेदारी खरीदते हैं।

FII के फायदे:

बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है (Liquidity = मार्केट में पैसे का फ्लो)।
अच्छी कंपनियों में निवेश आता है, जिससे ग्रोथ होती है।
विदेशी निवेशक जब खरीदारी करते हैं, तो Sensex & Nifty ऊपर जाते हैं।

FII के नुकसान:

⬝अगर विदेशी निवेशक पैसा निकालते हैं, तो बाज़ार में गिरावट आती है।
⬝रुपये की वैल्यू पर असर पड़ता है, जिससे रुपए में गिरावट हो सकती है।

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2. DII (Domestic Institutional Investors) क्या होते हैं?

DII वे भारतीय संस्थागत निवेशक होते हैं जो घरेलू शेयर बाजार में निवेश करते हैं। ये निवेशक भारतीय म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक, पेंशन फंड आदि हो सकते हैं।

DII के प्रकार:

1. Mutual Funds – जैसे HDFC, SBI, ICICI Prudential, जो निवेशकों का पैसा शेयरों में लगाते हैं।
2. Insurance Companies – LIC, SBI Life, जो लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं।
3. Banks & Financial Institutions – सरकारी और निजी बैंक जो स्टॉक खरीदते हैं।

DII के फायदे:

जब FII पैसे निकालते हैं, तो DII मार्केट को सपोर्ट कर सकते हैं।
ये आमतौर पर लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट करते हैं, जिससे मार्केट में स्थिरता आती है।
घरेलू निवेशकों के लिए बाजार को अधिक विश्वसनीय बनाते हैं।

DII के नुकसान:

⬝ DII की खरीद FII की तुलना में कम होती है, जिससे बाज़ार पर FII का अधिक प्रभाव पड़ता है।
⬝ जब DII बिकवाली करते हैं, तो बाजार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

3. FII और DII कैसे Stock Market में तेजी या मंदी लाते हैं?

जब FII और DII दोनों खरीदारी करते हैं:
⬝ मार्केट में तेजी आती है, Sensex और Nifty ऊपर जाते हैं।
⬝ Midcap और Smallcap स्टॉक्स भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

जब FII बेचते हैं और DII खरीदते हैं:
⬝ मार्केट में ज्यादा गिरावट नहीं आती, क्योंकि DII सपोर्ट करते हैं।
⬝ लेकिन अगर FII बहुत ज्यादा पैसा निकालते हैं, तो बाजार गिर सकता है।

जब FII और DII दोनों बिकवाली करते हैं:
⬝ मार्केट में भारी गिरावट आ सकती है।
⬝ Nifty, Sensex, Midcap और Smallcap स्टॉक्स में गिरावट होती है।

जब FII खरीदते हैं और DII बेचते हैं:
⬝ विदेशी निवेश बढ़ने से Sensex और Nifty ऊपर जाते हैं।
⬝ लेकिन अगर DII की बिकवाली ज्यादा होती है, तो कुछ सेक्टर्स में दबाव रह सकता है।

4. FII और DII के निवेश को कैसे ट्रैक करें?

अगर आप जानना चाहते हैं कि FII और DII मार्केट में क्या कर रहे हैं, तो आप इन सोर्सेस से जानकारी ले सकते हैं:

NSE & BSE की वेबसाइट:

SEBI की रिपोर्ट्स:

  • SEBI हर महीने FII और DII की निवेश रिपोर्ट जारी करता है।

Economic Times & Moneycontrol:

5. क्या FII और DII के निवेश को देखकर ट्रेडिंग या निवेश करना चाहिए?

Short-Term Traders के लिए:
अगर FII भारी मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं, तो बाजार में तेजी बनी रह सकती है।
अगर FII बिकवाली कर रहे हैं, तो बाजार में गिरावट आ सकती है।

Long-Term Investors के लिए:
DII के निवेश पर ध्यान देना ज़रूरी है, क्योंकि वे लॉन्ग-टर्म निवेश करते हैं।
अगर FII बिकवाली कर रहे हैं, लेकिन DII खरीदारी कर रहे हैं, तो यह गिरावट के बाद रिकवरी का संकेत हो सकता है।

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6. FII और DII का असर किन सेक्टर्स पर ज्यादा होता है?

FII का असर:
⬝ बैंकिंग और फाइनेंस (HDFC Bank, ICICI Bank)
⬝ IT सेक्टर (Infosys, TCS, Wipro)
⬝ FMCG (HUL, Nestle)
⬝ ऑटो सेक्टर (Maruti, Tata Motors)

DII का असर:
⬝ मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स
⬝ PSU बैंक (SBI, Bank of Baroda)
⬝ इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट

7. Conclusion: FII और DII कैसे स्टॉक मार्केट को प्रभावित करते हैं?

⬝FII के निवेश से बाजार में तेजी आती है, लेकिन बिकवाली से भारी गिरावट हो सकती है।
⬝DII का निवेश बाजार को स्थिर रखता है, खासकर जब FII बिकवाली करते हैं।
⬝FII डेटा देखकर आप ट्रेडिंग और निवेश की बेहतर रणनीति बना सकते हैं।
⬝अगर DII किसी सेक्टर में निवेश बढ़ाते हैं, तो लॉन्ग-टर्म में वह सेक्टर अच्छा कर सकता है।

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अगर आप ट्रेडिंग या लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं, तो हमेशा FII और DII डेटा पर नजर रखें। यह जानना जरूरी है कि बड़े निवेशक बाजार में क्या कर रहे हैं, ताकि आप सही समय पर सही निर्णय ले सकें।

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